इंडोलॉजिकल परिप्रेक्ष्य - जी.एस. घुर्ये जी.एस. घुर्ये, जिनका पूरा नाम गोविंद सदाशिव घुर्ये था (1893-1983), एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री और मानवशास्त्रीकार थे जिनकी योगदानों से भारतीय समाज और संस्कृति के अध्ययन को महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। भारतीय समाजशास्त्र में उनके काम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय समाज और संस्कृति के अध्ययन में एक टिकाऊ प्रभाव छोड़ा। घुर्ये का काम एक इंडोलॉजिकल परिप्रेक्ष्य दर्शाता है, जिससे भारतीय संस्कृति, इतिहास और समाज का अध्ययन स्वदेशी और बाह्य दृष्टिकोन से किया जाता है। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: घुर्ये कोल्हापुर, महाराष्ट्र, भारत में एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा की जिसमें सोशियोलॉजी में मास्टर्स डिग्री हासिल की और बाद में डॉक्टरेट भी प्राप्त किया। उनकी शोध और लेखनी में प्राचीन भारतीय पाठ्यक्रम और संस्कृत के प्रति उनकी रुचि साफ थी, जो उनके शोध और लेखन में प्रकट होती थी। शैक्षणिक करियर: जी.एस. घुर्ये का शैक्षणिक करियर विशेषज्ञ समाजशास्त्री के रूप में था। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रो...